भारिया जनजाति समाज में दीपावली

भारिया जनजाति के लोग भी कार्तिक मास में अमावस्या की रात में ही दीपावली पर्व मनाते हैं। इस अवसर पर मिट्टी व आँटा से बने पाँच दीये जलाकर लक्ष्मी व धन पूजन होती है।

भारिया लोग अहिराई झूमर पहनकर प्रत्येक घर को एक दीप दान करते हैं, इसके बदले उन्हें नेग मिलता है। अगले दिन सुबह की बेला में खिचड़ी-तिल्ली का सेवन करते हैं।

दीपावली के तीसरे दिन आँगन में गोवर्धन पूजा होती है। महिलाएँ गोवर्धन गीत गायन करती हैं। मवेशियों के शरीर पर गेरू (गेर) लेपन करते हैं।

बच्चे दोहरा गीत गाकर प्रत्येक घर में जाकर गोंदा फूल या झूमर देते हैं। दोहरा गीत –
ऊँचो उसारी, ओ ऊँचो राहुल, तुम्हारों रे नाव।
नावन सुन-सुन हम आये दादी, दरसन दइयो बनाय रे
उई-ई…………………………..
कट-कट तेरी टकिया बाजी रे, धुकुर फुकर जीव होय।
खोल बड़ी बहू की बटुआ रे, अहिरा को कर दे दान रे।
उई-ई…………………………..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *