स्व-संस्कृति, स्व-भाषा स्व-भूषा के भाव से ही राष्ट्र में वांछित परिवर्तन आ सकेगा | – मा. कृष्णगोपाल जी
विद्या भारती की अखिल भारतीय साधारण सभा की बैठक का आयोजन मंदसौर के सरस्वती विहार मे किया गया था | इस बैठक में देश भर से कुल 298 प्रतिभागी उपस्थित हुए | दिनांक 10 जून सोमवार को बैठक का समापन हुआ | समापन सत्र में विद्या भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष श्री रामकृष्ण राव, संघ के सहकार्यवाह एवं विद्या भारती के पालक माननीय श्री कृष्णगोपाल जी एवं अखिल भारतीय महामंत्री श्री अवनीश जी भटनागर उपस्थित थे | सत्र के प्रारंभ मे श्री भटनागर द्वारा सभा का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया |
माननीय श्री रामकृष्ण राव ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें बड़े केंद्रों के साथ छोटे विद्यालयों को भी अत्याधुनिक बनाने के प्रयास करने होंगे | नवीन शिक्षा प्रणाली (एन ई पी) महत्वपूर्ण है तथा हमारे सभी प्रयास एन ई पी केंद्रित होने चाहिए | उन्होंने इस महति कार्य मे मातृ शक्ति के सहयोग पर भी बल दिया |
संघ के सहकार्यवाह माननीय कृष्णगोपाल जी ने बताया की विद्या भारती का कार्य अब और विस्तार ले रहा है |मिजोरम प्रांत में भी विद्या भारती का कार्य प्रारंभ हो चुका है | देश मे ऐसी और कोई शैक्षणिक संस्था नहीं है जो 20 – 22 भाषाओं मे अपना शिक्षण कार्य संचालित करती हो | किन्तु फिर भी हमारा लक्ष्य संख्या वृद्धि ना हो कर, भटकी हूई शिक्षा व्यवस्था को सही राह पर लाना होना चाहिए |
उन्होंने ऐसी शिक्षा पर बल दिया जो आधुनिक युगानुकूल तो हो ही लेकिन हमारे सांस्कृतिक मूल्यों और संस्कारों का रक्षण भी करती हो | उन्होंने कहा कि संस्कार मातृभाषा में ही दिए जाने चाहिए | इसका कोई विकल्प नहीं होता | विदेशी भाषा के तूफान से हमें बचना होगा | उन्होंने यह विश्वास व्यक्त किया किआने वाले वर्षों में यह तूफान पूर्णतः समाप्त हो जाएगा | विद्यार्थियों में “स्व” गौरव जगाने की आवश्यकता है | स्व-संस्कृति, स्व-भाषा स्व-भूषा के भाव से ही राष्ट्र में वांछित परिवर्तन आ सकेगा | बच्चों को भारतीय संस्कार दे कर ही उपयोगितावाद व उपभोगवाद से लड़ा जा सकता है | अंत मे उन्होंने, इस राष्ट्र कार्य मे सहयोग देने के लिए पूर्व छात्रों का आव्हान भी किया |
इस प्रकार सायं 4:30 बजे बैठक का समापन हुआ |