- श्री दत्तात्रेय होसबाले

इंदौर
संघ स्थापना के शताब्दी वर्ष में इन्दौर में आयोजित प्रमुखजन गोष्ठी में माननीय सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने संघ यात्रा के सौ वर्ष और हिन्दुत्व विषय पर अपना उद्बोधन दिया। आपने कहा कि पुराणों और दुनिया के विभिन्न विद्वानों ने हिन्दू और हिन्दुस्तान को अलग-अलग कालखंडों में परिभाषित किया। भारत, मानव धर्म का देश है, जो सृ्ष्टि में एकत्व का दर्शन करता है, इसकी सृष्टि के प्रति कृतज्ञता की दृष्टि है। यहाँ पुरुषार्थ के आधार पर आत्मा की मुक्ति के प्रयासों के पुरुषार्थ और सत्य को जीवन में आचरण में लाने का उद्देश्यपूर्ण जीवन है।
यह मानव धर्म विश्व को बताने वाले हिन्दू है, जिनके जीवन में यह परिलक्षित भी होता है। इसी कारण यह हिन्दू धर्म है। अत: हिन्दू एक भू-सांस्कृतिक अवधारणा है। हिन्दू धर्म संवेदना, कर्तव्य, गुण ( कैरेक्टरीस्टिक ) और जीवन शैली के साथ उपासन पद्धति से संबंधित है।
मानव कल्याण के लिये धर्म की संकल्पना हिन्दूओं का महानतम योगदान है। हिन्दू धर्म को आचरण में लाने वाले सभी मत-पंथ हिन्दूत्व के अंग है।
गोष्ठी के प्रथम सत्र में ‘संघ यात्रा के सौ वर्ष’ विषय पर बोलते हुए श्री होसबाले ने संघ स्थापना की पृष्ठभूमि और उद्देश्य को स्पष्ट किया। व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय चारित्र्य से युक्त समाज के निर्माण के लिये पूजनीय डॉ हेडगेवार जी ने संघ की स्थापना की। इस हेतु संगठन और संगठन हेतु शाखा पद्धति विकसित की। प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं के द्वारा समाज जीवन में भारत केन्द्रित विचार पर चलने वाले संगठन खड़े किये। पूजनीय गुरूजी ने संघ के वैचारिक अधिष्ठान को पुष्ट किया और कार्यकर्ताओं के लिये प्रेरणादायी नेतृत्व दिया। अपने अलौकिक नेतृत्व से समाज के प्रमुख लोगों से संवाद कर संघकार्य को आगे बढ़ाया।
आपदाओं में संघ कार्यकर्ता सदैव अग्रणी रहे है।आपातकाल में अपार कष्ट सहते हुए लोकतंत्र की पुनर्स्थापना का कार्य संघ ने किया। रामजन्मभूमि आंदोलन और स्वदेशी भाव के जागरण में संघ का कार्य सर्वविदित है।
संगठन विस्तार के साथ ही समाज परिवर्तन के विविध कार्य जैसे एकल विद्यालय, एक लाख से अधिक सेवा कार्य समाज के सहयोग से संघ ने किये हैं। १९९५ के पश्चात् समाज की सज्जनशक्ति के सहयोग से धर्म-जागरण, ग्राम-विकास, गौसेवा, सामाजिक समरसता, पर्यावरण, परिवार-प्रबोधन गतिविधियों द्वारा व्यवस्था परिवर्तन के कार्य में संघ लगा है। भारत के गौरव-बोध और अस्मिता के लिये संघ ने विवेकानंद शिला-स्मारक और श्री रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के आंदोलन में सहभागिता भी की।
कार्यक्रम में मालवा प्रांत के समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों उद्योग, चिकित्सा, वैज्ञानिक, साहित्य , मीडिया, शिक्षा, प्रशासन, न्यायिक जगत, खेल और सामाजिक संगठनों के ७५० से अधिक महानुभाव उपस्थित थे। कार्यक्रम में मंच पर माननीय प्रांत संघचालक श्री प्रकाशजी शास्त्री एवं इन्दौर विभाग विभाग संघचालक श्री मुकेशजी मोढ भी उपस्थित थे।




