मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित हैं भगवान श्रीराम और देवी सीता के वन गमन के स्मारक चिन्ह..
भारतवर्ष के प्रत्येक क्षेत्र में ईश्वरीय सत्ता के प्रमाण उपस्थित हैं जो सनातन के अस्तित्व को सुदृढ़ करते हैं!युग द्वापर का हो या त्रेता का,रामायण और महाभारत काल के प्रमाण और प्रसंग,संतो, इतिहासकारों,और बुजुर्गों द्वारा सुनने को मिल ही जाते हैं।रामायण काल से जुड़ी कुछ कथाएं और प्रमाण मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल बुरहानपुर( ब्रहपुर) जिसे दक्षिण का द्वार भी कहा जाता है,में भी मौजूद हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि भगवान श्रीराम,देवी सीता और लक्ष्मण जी ने बुरहानपुर में विश्राम किया था!यह भी मान्यता है कि यहां असीरगढ़ के किले पर स्थित शिव मंदिर में प्रतिदिन अश्वतथामा शिव दर्शन के लिए आते हैं।
भगवान श्रीराम ने जब वनवास के लिए प्रस्थान किया तब वह अनेक ऐसे दुर्गम क्षेत्रों और भयावह वनों से गुजरे जहां राक्षशों का शासन था ऐसे में दोनों भ्राता देवी सीता की सुरक्षा के प्रति सजग रहते थे।कहा जाता है कि जब वह बुरहानपुर क्षेत्र से गुजरे तो उन्होंने देवी सीता की सुरक्षा के लिए उन्हें एक गुफा में छिपा दिया था जिसे कालांतर में सीता गुफा के नाम से जाना जाने लगा।
सीता गुफा:-
इस क्षेत्र में दशानन रावण के भाई खरदूषण का शासन था।धार्मिक ग्रंथों और ताप्ती पुराण में श्रीराम पथ गमन का प्रसंग वर्णित है जिसमें बताया गया है कि वनवास के दौरान सतपुड़ा के सघन वनों से गुजरते हुए प्रभु श्रीराम का खरदूषण से युद्ध हुआ था तब प्रभु ने देवी सीता की रक्षा हेतु उन्हे बलडी की एक गुफा में छिपा दिया था तभी से यह गुफा,सीता गुफा के नाम से जानी जाती है। यह नगर से लगभग चौदह की.मी. की दूरी पर स्थित है। यहां के वन क्षेत्र में,अर्जुन, बहेड़ा, हदिका जैसे आयुर्वैदिक वृक्ष बहुतायत में हैं और गुफा तक पहुंचने का मार्ग भी दुर्गम हे जो इस यात्रा को रोमांचकारी और कठिन बनाता है।अखबारी कागज के कारखाने के लिए प्रसिद्ध नेपानगर के समीप ठाठरबलड़ी गांव के पास के जंगल में पहाड़ी क्षेत्र में स्थित सीता गुफा भक्तों की आस्था और आकर्षण का केंद्र है।
सीता नहानी:-
खरदूषण के संहार पश्चात श्रीराम ने नेपानगर मार्ग से पंचवटी की और प्रस्थान किया था,यहां देवी सीता ने स्नान इच्छा व्यक्त की तब प्रभु श्रीराम ने भूमि पर बाण संधान किया जहां से जलधारा फूट पड़ी इसी जलधारा से देवी सीता ने अपनी प्यास बुझाई और मंगल स्नान किया। तब से इस अविरल जलधारा व मंदिर का नाम सीता नहानी पवित्र क्षेत्र पड़ गया।नेपानगर इतिहास के जानकार मुकेश दरबार के मुताबिक नेपानगर के बीड़ ग्राम में गोमुख से आज भी अविरल जलधारा निकल रही है यह अविरल जलधारा तीन कुंडों से होकर निरंतर बह रही है। सीता नहानी के इस गोमुख में जलधारा कहां से आ रही है यह रहस्य किसी को ज्ञात नहीं। इसका जल वर्ष भर निरंतर प्रवाहित होता रहता है।यहां श्रीराम, हनुमान और शिवजी का आकर्षक मंदिर भी निर्मित है।यहां से ताप्ती नदी पार कर श्रीराम महाराष्ट्र के चालीस गांव के पास स्थित महर्षि वाल्मीकि के आश्रम और वहां से राजन गांव पहुंचे थे।
राम झरोखा मंदिर:-
बुरहानपुर का श्रीराम से गहरा रिश्ता रहा है और यही वजह है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में यहां स्थित राम झरोखा मंदिर की मिट्टी और सूर्य पुत्री मां ताप्ती नदी का जल भी अयोध्या भेजा गया है।वन गमन मार्ग में बुरहानपुर से गुजरते हुए श्रीराम ने ताप्ती नदी के तट पर स्थित एक मंदिर रूककर देवी सीता और लक्ष्मण के साथ रात्रि विश्राम किया था और सुबह ताप्ती नदी में स्नान करके अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध करने के पश्चात आगे की यात्रा शुरू की थी।इस मंदिर में भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित है और यह मंदिर लगभग 500 वर्ष प्राचीन है।यहां श्रीराम के दर्शन लाभ के लिए मध्य प्रदेश महाराष्ट्र और गुजरात के भक्त भी पहुंचते हैं,रामनवमी पर भगवान श्री राम के दर्शन करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है,यहां पर भक्त विवाह और व्यापार के लिए मन्नतें मांगते हैं।
।।जय सियाराम।।🙏🚩
– राजेश्वरी भट्ट बुरहानपुर