रतलाम के कुशलगढ़ गाँव मे एक अनुसूचित वर्ग के परिवार मे भाई व बहन की शादी थी ,शादी की एक रात पहले पिताजी की हृदयाघात से मृत्यु हो गई । लग्न लिख चुकी थी इसलिए विवाह होना अनिवार्य था । इस धर्मसंकट से पार किया गाँव के उन्नत कृषक ओर सामाजिक कार्यकर्ता हीरालाल पाटीदार ने ।
उन्हे दोनों भाई -बहन के विवाह की जिम्मेदारी ली ,विवाह का भव्य आयोजन हुआ ओर लग्शरी गाड़ी मे बिठाकर दोनों भाई बहन का विवाह -स्थल पर प्रवेश हुआ ।
हीरालाल जी ने विवाह करवाकर और ग्रामीणों ने इसमे सम्मिलित होकर हिन्दुओ मे आपसी जातिगत वैमनस्यता फेलाने वालों को अपने कार्य से स्पष्ट संदेश दिया है कि “हम सब एक है”