वन्देमातरम गीत के रचनाकार बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय की पुण्यतिथि (८अप्रैल १८९४)।
२६ जून १८३८ को बंगाल के कंतलवाड़ा में जन्मे बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय बंगाली भाषा के शीर्ष उपन्यासकार थे।उनके १५ ग्रन्थ प्रकाशित हुए।’आनन्द मठ’ पुस्तका ने क्रान्ति के समर में प्रेरणा का काम किया था।यह था लेखनी का प्रभाव।१८७६में उन्होंने राष्ट्रगान और क्रान्तिकारियों के मूलमंत्र ‘वन्देमातरम’ गीत की रचना की।
१८८२ को ‘वन्देमातरम’ को बंकिमचन्द्र ने आनंद मठ में स्थान दिया। ‘वन्देमातरम’ गीत और उद्घोष (नारा) देशभक्तों के गले का हार बन गया।वन्देमातरम गीत पर अंग्रेजों ने प्रतिबंध लगाया उसके बाद भी इस मंत्र को क्रान्ति योद्धा खुलकर गाते थे। वन्देमातरम उद्घोष अंग्रेजी शासन को शक्तिशाली बम की तरह विचलित कर देता था और उनका सिंहासन कांप उठता था।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने ५३ वर्ष की आयु में स्वतंत्र लेखन के लिए अच्छी सरकारी नौकरी छोड़ कर १५ उपन्यास लिखे थे। १८९६ मे गुरु रवींद्रनाथ टैगोर ने वन्देमातरम गीत को स्वर बद्ध कर संगीत भी दिया व उसे कांग्रेस के अधिवेशनों में गाया गया।अन्तराल में मुसलमानों के विरोध के कारण वन्देमातरम गीत के मात्र दो पद ही कांग्रेस अधिवेशनों गाने जाने लगे। जबकि वन्देमातरम क्रान्ति मंत्र कहने और गाने पर कई तरुण क्रान्तिकारियों ने कारावास का दण्ड भी सहन किया था, पुलिस की मार भी खाई थी। बलिदानी क्रान्तिवीरों ने वन्देमातरम कहते हुए हँसते-हँसते बलीदेवी पर चढ़ गए थे।
संविधान सभा मे जनता के दबाव के कारण वन्देमातरम गीत को राष्ट्र गीत का गौरव प्रदान किया गया।
वन्देमातरम।
लेखक :- श्री अभय मराठे( उज्जैन)